कर्नाटक सरकार द्वारा आंगनवाड़ी शिक्षकों के लिए उर्दू को अनिवार्य करने का निर्णय विवादों का कारण बन गया है। बीजेपी ने इस निर्णय पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से स्पष्टीकरण मांगा है।
भाजपा का कहना है कि यह कदम सरकार के बहु-सांस्कृतिक वातावरण को प्रभावित कर सकता है। उर्दू को अनिवार्य करने का निर्णय उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो इस भाषा को नहीं समझते।
इस निर्णय के पीछे का तर्क यह है कि यह भाषा समुदाय के बच्चों को बेहतर ढंग से समझने और संवाद करने में मदद करेगी। हालांकि, विपक्ष ने इसे राजनीति से प्रेरित एक निर्णय करार दिया है।
कर्नाटक में एक बहु-भाषाई समाज है, और इस तरह के निर्णय से सामाजिक संतुलन में भी बदलाव आ सकता है। इस मामले में, सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या यह निर्णय वास्तव में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए है या फिर यह एक राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा है।
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