भारत में पिछले एक दशक में व्यक्तिगत आयकर (Personal Income Tax) के संग्रह में जबरदस्त वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2013-2023 के दौरान व्यक्तिगत आयकर संग्रह में 294% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस उछाल ने देश के आर्थिक परिदृश्य में एक नया अध्याय जोड़ा है, और यह संकेत देता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था किस दिशा में आगे बढ़ रही है।
पर्सनल इनकम टैक्स में वृद्धि के पीछे के कारण
इस वृद्धि के पीछे कई कारण हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
बढ़ती आय और रोजगार: पिछले कुछ वर्षों में भारत में रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी हुई है, जिससे लोगों की आय भी बढ़ी है। इसके साथ ही, वेतनभोगी वर्ग का विस्तार हुआ है, जो आयकर योगदान के प्रमुख स्रोतों में से एक है।
कर सुधार और डिजिटलीकरण: सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कर प्रणाली में कई सुधार किए हैं। डिजिटलीकरण और जीएसटी जैसे उपायों ने कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाया है। इससे न केवल करदाताओं की संख्या बढ़ी है, बल्कि कर संग्रह भी आसान हो गया है।
कराधान की जागरूकता: लोगों में कराधान के प्रति जागरूकता बढ़ी है। सरकार ने कर चुकाने के महत्व को लेकर कई अभियान चलाए हैं, जिससे करदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है।
बढ़ोतरी का प्रभाव
इस वृद्धि का सीधा असर सरकार के राजस्व पर पड़ा है। बढ़ते कर संग्रह से सरकार को अपने विकासशील कार्यक्रमों और योजनाओं के लिए अधिक वित्तीय संसाधन मिलते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और सामाजिक सुरक्षा जैसी योजनाओं में निवेश बढ़ाने के लिए सरकार को आयकर से मिलने वाला राजस्व महत्वपूर्ण है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि आयकर संग्रह में यह बढ़ोतरी महंगाई और खर्चों में इजाफे का भी संकेत हो सकती है। उच्च आय वर्ग में टैक्स की भार बढ़ने से मध्यम और निम्न वर्गीय करदाताओं पर भी दबाव बढ़ सकता है।
कर सुधारों की दिशा में आगे के कदम
भारत सरकार अब भी कर सुधारों की दिशा में आगे बढ़ रही है। आने वाले वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस तरह से कराधान को और अधिक सरल और प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाती है।
सरकार ने भविष्य के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जिनका उद्देश्य करदाताओं के लिए सुविधाजनक माहौल तैयार करना और कर प्रणाली को और अधिक पारदर्शी बनाना है।