वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद विजयसाई रेड्डी ने वाईएस शर्मिला पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के नेता एन चंद्रबाबू नायडू के साथ मिलकर मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की नेतृत्व क्षमता को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। वाईएसआर कांग्रेस और आंध्र प्रदेश की राजनीति में यह विवाद नया मोड़ लेता जा रहा है, जिसमें अब राजनीतिक समीकरण और व्यक्तिगत संबंध दोनों ही बुरी तरह उलझ चुके हैं।
नायडू और शर्मिला का गठजोड़: राजनीतिक साजिश या व्यक्तिगत नफरत?
विजयसाई रेड्डी का आरोप है कि नायडू और शर्मिला ने मिलकर एक सोची-समझी रणनीति के तहत मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार के खिलाफ वातावरण बनाने की कोशिश शुरू की है। उन्होंने इसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा बताया और कहा कि नायडू और शर्मिला एकजुट होकर वाईएसआर कांग्रेस की सत्ता को गिराने की साजिश रच रहे हैं। इस बयान से साफ है कि आंध्र प्रदेश की राजनीति में रिश्तों का समीकरण काफी हद तक बदल चुका है और अब व्यक्तिगत संबंधों पर भी राजनीति का प्रभाव पड़ने लगा है।
शर्मिला का लक्ष्य: क्या यह सच्चा विरोध या सत्ता की चाह?
विजयसाई रेड्डी के अनुसार, वाईएस शर्मिला का विरोध मात्र जगन मोहन रेड्डी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाने तक सीमित नहीं है; बल्कि इसके पीछे एक सत्ता-लोलुपता का भाव भी है। वह नायडू के साथ मिलकर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को साधने में लगी हैं। रेड्डी का कहना है कि शर्मिला को जनता की समस्याओं की बजाय अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से ज्यादा सरोकार है, जो आंध्र प्रदेश की जनता के हितों के खिलाफ है।
आंध्र प्रदेश की राजनीति में भाई-बहन की बढ़ती खाई, जनता के लिए क्या है संदेश?
इस मामले से आंध्र प्रदेश की जनता को यह संदेश मिल रहा है कि निजी स्वार्थों के चलते नेता परिवारिक रिश्तों को भी दांव पर लगाने से नहीं चूकते। जहां एक तरफ वाईएसआर कांग्रेस के नेता विजयसाई रेड्डी मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के प्रति निष्ठा दिखाते हुए शर्मिला पर साजिश के आरोप लगा रहे हैं, वहीं इस विवाद से जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन के बीच की दूरी और गहरी हो रही है।
राजनीतिक समीकरण और आरोप-प्रत्यारोप की इस राजनीति का अंत क्या होगा?
विजयसाई रेड्डी के बयान से यह तो स्पष्ट हो गया है कि आंध्र प्रदेश की राजनीति में केवल पार्टी की नीतियों का ही नहीं, बल्कि पारिवारिक संघर्षों का भी भारी असर पड़ रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी इस विवाद को कैसे संभालती है और शर्मिला तथा नायडू की रणनीति पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप और राजनीतिक उठापटक में, आम जनता के हितों का क्या होगा, यह सबसे बड़ा सवाल है।